शिकवे तो कम नहीं . . .

घुट घुट के जी रहा हूँ तेरी नौकरी में ऐ दिल,
बेहतर तो होगा अब तू कर दे मेरा हिसाब,
शिकवे तो कम नहीं है पर क्या करुं शिकायत,
कहीं हो न जाएं तुझसे रिश्ते मेरा खराब।


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